निवेशक आज हम “वोलैटिलिटी के मतलब, फायदे, प्रकार तथा पहचानने की रणनीतिया” के ऊपर डिटेल मे चर्चा कारेगे और इसको “गहराई से समझेगे”।
इसके अलावा आज हम इससे रिलेटेड कई और टोपिक्स को कवर करने वाले है।
इसके अलावा दोस्तों हम ये भी जानेगे की “वोलैटिलिटी निवेशकों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है” इसका निवेशकों के ट्रैड से क्या संबंध है निवेशक इसका इस्तेमाल अपने प्रॉफ़िट को बनाने मे कैसे कर सकते है।
तो दोस्तों चलिए बिना किसी देरी के आज के इस ब्लॉग पोस्ट की शुरुआत करते है,
इस पोस्ट मे हम क्या जानेगे:
- स्टॉक मार्केट मे वोलैटिलिटी का मतलब क्या होता है?
- स्टॉक मार्केट मे वोलैटिलिटी कितने प्रकार की होती है?
- स्टॉक वोलैटिलिटी का कैसे पता करे?
- वोलैटिलिटी ट्रैडिंग कैसे शुरू करे?
- स्टॉक मार्केट मे बेरिश और बुलिश वोलैटिलिटी का पता लगाने के तरीके क्या है?
- निवेशकों के द्वारा पूछे गए कुछ सवाल।
स्टॉक मार्केट मे वोलैटिलिटी का मतलब क्या होता है?
जब किसी भी कॉमपनी के शेयर मे हमे तेजी और मंदी अचानक से देखने को मिलती है यानि की शेयर के भाव मे तेजी से उतार चढ़ाव होने लगते है बस इसी तो उस शेयर की वोलैटिलिटी कहते है। शेयर मे वोलैटिलिटी आने से शेयर एक भाव काफी तेजी से बढ़ता भी है कभी कभी तेजी से घटता भी है।
स्टॉक मार्केट मे वोलैटिलिटी कितने प्रकार की होती है?
दोस्तों स्टॉक मार्केट मे वोलैटिलिटी दो प्रकार की होती है, पहली वोलैटिलिटी को बुलिश वोलैटिलिटी तथा दूसरी वोलैटिलिटी को बेरिश वोलैटिलिटी के नाम से जाना जाता है आइए इनके बारे मे और समझ लेते है।
बुलिश वोलैटिलिटी: इस वोलैटिलिटी मे शेयर का भाव अपने पिछले भाव के मुकाबले कई गुना बढ़ने लगता है, ऐसी वोलैटिलिटी आने से शेयर के बाइअर निवेशकों का केवल कुछ क्षणों के अंदर एक बेहतर रिटर्न्स मिल जाता है। ऐसी वोलैटिलिटी के ट्रैड मे कम पैसे लगाकर अधिक पैसे बनाए जा सकते है।
लेकिन इस वोलैटिलिटी मे सबसे बड़ा नुकसान सेलर निवेशक का होता है क्योंकि एक ही झटके मे शेयर का भाव कई गुण तक बढ़ जाता है।
बेरिश वोलैटिलिटी: इस वोलैटिलिटी आने से शेयर के भाव अपने पिछले भाव के अपेक्षा कई गुना कम होने लगता है ऐसी वोलैटिलिटी आने से उस शेयर के सेलर निवेशक केवल कुछ ही क्षणों अंदर मार्केट से अच्छा रिटर्न्स बनाकर निकाल जाते है।
इस वोलैटिलिटी मे सबसे ज्यादा नुकसान बाइअर निवेशक का होता है, क्योंकि ऐसी वोलैटिलिटी आने से शेयर का भाव एक झटके मे गिर जाता है।
स्टॉक मे वोलैटिलिटी का कैसे पता करे?
दोस्तों हमे अगर स्टॉक की वोलैटिलिटी का पता लगाना है तो हमे सबसे पहले शेयर के बाइ तथा सेल जोन का पता करना जरूरी होता है। शेयर के डिमांड और सप्लाइ जोन का पता करने के लिए आप शेयर के उतार और चढ़ाव को मार्क कर सकते है।
दूसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात आपको देखना है की क्या शेयर इस लेवल्स को वैल्यू दे रहा है की नहीं अगर दे रहा है, तो आपके लेवल्स सही है। शेयर जैसे ही अपने डिमांड जोन या बाइ जोन के पास आए तो आप शेयर को बाइ करे और यदि अपने सेल जोन या सप्लाइ जोन मे आए तो आप शेयर को सेल कर सकते है।
वोलैटिलिटी ट्रैडिंग कैसे शुरू करे?
दोस्तों वोलैटिलिटी ट्रैडिंग काफी ज्यादा रिष्क भरी ट्रैडिंग है इस ट्रैडिंग को सीखने के लिए आपको सबसे पहले शेयर के बाइ जोन तथा शेयर के सप्लाइ जोन को आइडेंटिफ़ाई करने आना चाहिए बिना इसके आपको ट्रैड पंच नहीं करना है।
शेयर के बाइ या सेल जोन का पता लगाना थोड़ा सा मुस्किल है इसमे आपंकों शेयर के हर ऊपर-चढ़ाव को मार्क करना पड़ता है। और देखना पड़ता है की शेयर आपके इस लेवल्स को वैल्यू डे रहा है की नहीं। ये बारी बातों को समझ और सीखकर तभी आप एक वोलैटिलिटी ट्रैडर बन सकते है।
स्टॉक मार्केट मे बेरिश और बुलिश वोलैटिलिटी का पता लगाने के तरीके क्या है?
स्टॉक मार्केट मे बेरिश और बुलिश वोलैटिलिटी का पता आप शेयर के चार्ट मे बुलिश और बेरिश कंडलेस्टिक्स तथा चार्ट पटटर्न्स को देखकर लगा सकते है। अगर शेयर के चार्ट मे बेरिश कंडलेस्टिक्स बन रही है तो बेरिश वोलैटिलिटी आ सकती है, और यदि चार्ट मे बुलिश कंडलेस्टिक्स बना रही है तो ज्यादातर संभावना है की बुलिश वोलैटिलिटी आ सकती है।
दूसरा तरीका की आप चार्ट मे बाइअर और सेलर के स्तरेन्थ को देखकर भी बेरिश और बुलिश वोलैटिलिटी का पता लगा सकते है। स्तरेन्थ पता लगाने के लिए आपको चार्ट मे चल रहे सभी तरह के बुलिश और बेरिश मोमेन्टम को चेक करते रहना पड़ता है तभी आप स्टॉक मार्केट मे बेरिश और बुलिश वोलैटिलिटी का पता लगा पायेगे।
निवेशकों के द्वारा पूछे गए कुछ सवाल:
Q. निवेशकों के लिए वोलैटिलिटी क्यू महत्वपूर्ण है?
Ans: शेयर मे वोलैटिलिटी के आने से शेयर के भाव मे तेजी या मंदी आती है जिससे बाइअर और सेलर निवेशक शेयर मे अपनी पज़िशन को बना पाते है। वोलैटिलिटी के आने से निवेशकों को काफी अच्छा रिटर्न्स मिलता है।
Q. वोलैटिलिटी ट्रैडर कैसे बन सकते है?
Ans: जो ट्रैडर केवल वोलैटिलिटी के आने से ट्रैड लेता है उसे वोलैटिलिटी ट्रैडर कहते है, अगर आपको एक वोलैटिलिटी ट्रैडर बनाना है तो आपको चार्ट रीडिंग मे मास्टर होना पड़ेगा इससे साथ साथ आपको मार्केट के कुछ फैक्टर को सीखना पड़ेगा जो इस प्रकार है,
- सभी कंडलेस्टिक्स और चार्ट पटटर्न्स।
- ट्रैड के रणनीतिया:
- बाइ और सेल जॉन की इंडेंटिफ़िकसन।
- सपोर्ट और सप्लाइ लेवलस का पता होना।
Q. किस वोलैटिलिटी के आने से ज्यादा पैसा बनाता है?
Ans; शेयर मे दोनों ही वोलैटिलिटी के आने से निवेशक का प्रॉफ़िट होता है बुलिश वोलैटिलिटी आने से बाइअर निवेशक का प्रॉफ़िट तथा बेरिश वोलैटिलिटी के आने से सेलर निवेशक का प्रॉफ़िट होता है।
Q. वोलैटिलिटी को कैसे पहचाना जा सकता है?
Ans: शेयर मे किस समय वोलैटिलिटी आने वाली है अगर उसे पहचानना है तो आपको चार्ट रीडिंग की एक गहरी नॉलेज होना बहुत जरूरी है।
Q. शेयर मे वोलैटिलिटी आने से ट्रैड क्यों लेना चाहिए?
Ans: दोस्तों अगर आपको चार्ट रीडिंग आती है, और किसी शेयर मे वोलैटिलिटी आई हुई है चाहे वह कोई भी वोलैटिलिटी हो इस वोलैटिलिटी मे प्रॉफ़िट दुगने स्पीड से बढ़ते है। आप केवल कुछ ही समय के अंदर ज्यादा प्रॉफ़िट बना सकते है।
Conclusion
दोस्तों मैंने इस पोस्ट के माध्यम से आपको “शेयर मार्केट मे वोलैटिलिटी का मतलब क्या होता है” इस टॉपिक को डिटेल मे समझाने की कोशिश की हुई है। मैंने इस टॉपिक को और डिटेल मे बताने के लिए इसके सभी subtopic को कवर किया हुआ है।
मैं आशा करता हु की आपको मेरी ये पोस्ट महत्वपूर्ण लगी होगी। दोस्त अगर आपो इस टॉपिक को लेकर कोई भी Doubt है तो आप comment कर सकते है। मैं जल्द से जल्द आपके सभी Doubt Clear करने की कोशिश करूंगा।
दोस्त आप मेरी वेबसाईट पर आए और अपने मेरी पोस्ट को पढ़ी मैं इसके लिए आपका जीवन भर आभारी रहूँगा “नमस्कार allsharetarget.com” ।